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Information and Communication Technology (ICT) (सूचना एवं संचार तकनीकी
Sep 18, 2022   Ritu Suhag

Information and Communication Technology (ICT)(सूचना एवं संचार तकनीकी

After reading this article you will be able to answer the following questions-

-what is ict?

-what is the use of ict in education?

-what are the ict benefits for teachers and students?

Information and Communication Technology (ICT)(सूचना एवं संचार तकनीकी)

20वीं शताब्दी के अंत में व 21वीं शताब्दी के प्रारम्भ में बहुत से क्षेत्रों में बदलाव देखे गए, जिनमें से सूचना एवं संचार तकनीकी भी एक है। बदलाव के लिए शिक्षा उनमें से एक सशक्त यन्त्र है।अतः इस बदलाव से जूझने के लिए,सामना करने के लिए और तालमेल बैठाने के लिए लोगों को शिक्षित करना नितान्त आवश्यक है।शिक्षा से जुड़े सभी बुद्धिजीवियों को यह बात अच्छी प्रकार समझ लेनी चाहिए कि आज इस तीव्रता से बदलते हुए संसार में,विद्यार्थियों को इस प्रकार से तैयार करना है कि वे बुद्धिमतापूर्ण सामाजिक,आर्थिक व तकनीकी बदलावों का सामना कर सकें। शैक्षिक वातावरण में तेज गति से हो रहा बदलाव सूचना एवं संचार तकनीकी (Information Communication Technology-ICT)का परिणाम हैं जो कि निरन्तर जारी है।वर्तमान युग को प्रायः 'संचार व सूचना का युग'(Age of Communication and Information) के नाम से पुकारा जाता है।आधुनिक सूचना एवं संचार तकनीकी ने सम्पूर्ण विश्व को एक 'Global Village' के रूप में उभारा है, जिसमें व्यक्ति संसार के किसी भी कोने से एक स्थान पर बैठे-बैठे संसार के अन्य लोगों से बातचीत कर सकता है।

सूचना एवं संचार तकनीकी का अर्थ(Meaning of ICT)

-सूचना एवं संचार तकनीकी को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है,"सूचना एवं संचार तकनीकी विभिन्न प्रकार के तकनीकी यंत्रों एवं संसाधनों की ऐसी व्यवस्था है, जिसका अनुप्रयोग सूचना के संग्रहण,भंडारण,पुन: प्रस्तुतिकरण, उपयोग,स्थानान्तरण,संश्लेषण व विश्लेषण एवं संचारण हेतु किया जाता है।"(Diverse set of technological tools and resources used to communicate, and to create, disseminate, store and manage information.)

सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT) शब्द निम्न तीन शब्दों के मेल से बना है

•सूचना(Information)

•संचार (Communication)+तकनीकी(Technology)

सूचना (Information)-सूचना की प्रकृति ( ICT में 'I' का अर्थ) के अन्तर्गत निम्न विषयों का अध्ययन किया जाता है।सूचना का अर्थ,सूचना की उपयोगिता या कीमत सूचना को कैसे नियन्त्रित किया जाए? ICT की सीमाएं;कानूनी मान्यताएं । सूचना के प्रबन्धन के अन्तर्गत निम्न का अध्ययन किया जाता है-आंकड़ों (डाटा) को कैसे एकत्रित किया जाता है,संसाधित एवं भंडारण कैसे किया जाए कि उनका प्रभावशाली उपयोग हो?सूचना का सृजन, प्रक्रिया और उसको वितरित कैसे किया जाए?सूचना को संरक्षण कैसे किया जाए और किस प्रकार से नेटवर्क्स स्थापित किए जाएं कि सूचना का अधिकतम उपयोग हो सके।

संचार (Communication)-ICT में 'C' का तात्पर्य है आंकड़ों (data) का विद्युतीय माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में संचार करना।यह कार्य प्रायः नेटवर्क्स के माध्यम से किया जाता है,जिसमें यन्त्रों,तारों व सैटेलाइट के माध्यम से डाटा/सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है।

आन्तरिक नेटवर्क्स(Internal Networks)- इसे लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network) भी कहते हैं। यह नेटवर्क एक कार्यालय या एक भवन में हो सकता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न हार्डवेयर युक्तियों (Input and Output + Computer Processing) को परस्पर सम्बन्धित कर दिया जाता है, जिससे वे एक कार्यालय या इमारत के अन्तर्गत नेटवर्क से जोड़े गए Systems पर उपलब्ध सूचनाओं/ उपकरणों की आपस में बांट कर सकें। LAN का उद्देश्य हार्डवेयर सॉफ्टवेयर के सांझे उपयोग की सुविधा प्रदान करना है,जैसे प्रिंटर, स्कैनर,एपलिकेशन, सॉफ्टवेयर एवं आंकड़े।

बाह्य नैटवर्क(External Network) - जब हमें दूर दराज के क्षेत्रों में सूचना का आदान-प्रदान करना होता है तो हमें बाह्य नेटवर्क से जुड़ने की आवश्यकता होती है, जिसे Wide Area Network (WAN) कहते हैं।इंटरनेट एक प्रकार का WAN ही है जो कि बहुत सारे नेटवर्क्स का विस्तृत नेटवर्क है।

तकनीकी (Technology)-तकनीकी के अन्तर्गत भी विभिन्न तकनीकों का सम्मिश्रण होता है।यहां तकनीकी का अभिप्राय है तत्कालीन मानव ज्ञान का इस प्रकार से उपयोग करना और उपलब्ध संसाधनों को इस प्रकार से मिलाना/जोड़ना कि ऐच्छिक उत्पादन प्राप्त हो सके, समस्याओं का समाधान किया जा सके एवं मानव आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। इसके अन्तर्गत तकनीकी विधियों, कौशलों,गतिविधियों,तकनीकों,यन्त्रों एवं कच्चे सामान को सम्मिलित करते हैं।

ICT के अन्तर्गत उन सभी उत्पाद को सम्मिलित किया जाता है,जिसका भंडारण किया जा सके; जिसे पुनः प्राप्त किया जा सके;उसमें संशोधन किया जा सके;संचारित किया जा सके, विद्युतीय सूचना के रूप में डिजीटल फार्म में प्राप्त में प्राप्त किया जा सके। जैसे-व्यक्तिगत कम्प्यूटर,डिजीटल टेलीविज़न,ई-मेल और रोबोट.इसलिए ICT का संबंध डिजीटल डाटा के भंडारण, पुनः प्राप्ति, संसाधन, संचारण या प्राप्ति से है। इसका उपयोग हम विभिन्न व्यक्तिगत कार्यों के लिए कर सकते हैं ।इस प्रकार से सूचना एवं संचार तकनीकी से अभिप्राय: "औजारों, उपकरणों तथा अनुप्रयोग आधार से युक्त एक ऐसी तकनीकी व्यवस्था से है जो सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनः प्राप्ति, उपयोग, संचार, संशोधन इत्यादि हेतु प्रयोग की जाती है। साथ ही उपयोगकर्त्ताओं का ज्ञान संवर्द्धन करते हुए उन्हें विश्वसनीय सूचनाएं प्रदान करती है और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने में पर्याप्त रूप से सहायक सिद्ध होती है।" (Information and communication technology is that type technology employed in the shape of tools, equipments and application support which helps in the collection, storage, retrieve, use, transmission, manipulation and dissemination of information as accurately and efficiently as possible for the purpose of enriching the knowledge and develop communication, decision making problem solving ability of the users.) as well as of

अत: ICT से अभिप्राय उन तकनीकियों से है जो दूर-संचार के द्वारा सूचना प्रदान करती हैं। इसमें इंटरनेट, वायरलैस नेटवर्क, सेलफोन तथा अन्य संचार माध्यमों को सम्मिलित किया जाता है।

सूचना एवं संचार तकनीकी के लिए औजार,उपकरण एवं सहायक सामग्री[Tools and Equipments and Support Material of ICT]

आधुनिक सूचना एवं संचार तकनीकी परम्परागत संचार तकनीकी से भिन्न है। परम्परागत ICT के अन्तर्गत निम्न को सम्मिलित किया जाता है

- मुद्रित सामग्री जैसे-पाठ्य पुस्तकें,रिसोर्स पुस्तकें,समाचार,सामयिक पत्रिकाएं एवं अन्य पुस्तकें।

-मानचित्र सहायक सामग्री जैसे-

नक्शे,पिक्चर्स,चार्ट्स एवं डायाग्राम आदि

-शाब्दिक सूचना एवं विचार

-थ्री डायामैश्नल यन्त्र जैसे रेडियो,टेपरिकार्डर एवं पपेटरी

- दृश्य-श्रव्य यन्त्र जैसे रेडियो,टेप रिकार्डर, टेलीविजन,स्लाइड प्रोजैक्टर,ओवरहैड प्रोजैक्टर्स,चलचित्र,शिक्षण यन्त्र आदि

आधुनिक ICT के अन्तर्गत निम्न को सम्मिलित किया जाता है-ई-मेल, इंटरनेट एवं वर्ल्ड वाइड वेबसाइट (World Wide Website,WWW).

-दृश्य श्रव्य कांफ्रेंसिंग

-मल्डीमीडिया पर्सनल कम्प्यूटर एवं लैपटॉप मल्टीमीडिया प्रोजैक्टर (LCD or DLP).

-डिजीटल वीडियो कैमरा

-डिजीटल पुस्तकालय 

-लोकल एरिया नेटवर्क (LAN),वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) एवं मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क

-इंटरएक्टिव वीडियो डिस्क और इंटर ऐक्टिव रिमोर्ट अनुदेशन ।

-कम्प्यूटर डाटा बेस और डाटा प्रोसैसिंग मैकेनिक्स, CD, ROM और DVD, Tele text, इंटर एक्टिव वीडियी टैक्स्ट।

-ऐपलिकेशन सॉफ्टवेयर जैसे- वर्ड प्रोसैसिंग,स्प्रैड शीट(पावर प्वाइंट, सिमूलेशन और speed recognition.)

परम्परागत पैडागोगी एवं ICT युक्त पैडागोगी में अंतर[Comparison of Traditional Pedagogy and ICT-enabled Pedagogy]

ICT आधारित अधिगम (ICT based Learning)-सूचना एवं संचार तकनीकी आधुनिक कक्षा कक्ष में एक आवश्यक यन्त्र है। इसके माध्यम से बहुत से विद्यार्थियों को एक साथ शिक्षित किया जा सकता है जो कि अध्यापक के कार्य को काफी सीमा तक सरल बना देता है। यह एक ऐसी अवस्था भी हो सकती है जहां विद्यार्थी वैब पर आधारित (Web based) कार्य-कलापों में ही लगे रहें जिनमें कोई दूरगामी लाभ प्राप्त नहीं हो सकते। इस प्रकार कक्षा की सभी गतिविधियां चाहे वे सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT) पर आधारित हों या बिना सूचना एवं संचार तकनीकी (ICT) के उपयोग की हों, सभी का उद्देश्य विद्यार्थियों की सोच को उत्कृष्टता प्रदान करना व उन्हें अच्छे शिक्षार्थी बनाना है।विद्यार्थियों की उच्च स्तर की सोच व उन्हें आत्म-निर्भर बनाना एक दूसरे से सम्बन्धित हैं। इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। इन सभी का उद्देश्य सीखने के लिए प्रभावी वातावरण प्रदान करना है।अतः

प्रत्येक कार्य का उद्देश्य स्पष्ट होता है व सम्बन्धित होता है।

- नया ज्ञान पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित होता है। प्रस्तुत करने का तरीका भिन्न-भिन्न होता है।

- प्रत्येक गतिविधि उत्सुकता पैदा करने वाली होती है। 

- विद्यार्थी प्रश्न पूछते हैं व नए विचारों को जन्म देते हैं।

जेड विद्यार्थी अपनी उपलब्धियों व तरक्की को देखते हैं।

- विद्यार्थी अपने कार्य से संतुष्टि व खुशी प्राप्त करते हैं। 

- विद्यार्थी स्वयं सीखते हुए पॉजिटिव धारणा प्राप्त करते हैं।

सूचना एवं संचार तकनीकी पर आधारित अधिगम उत्सुकता(ICT based Learning

- इसके प्रयोग से विद्यार्थियों, अध्यापकों व विषय विशेषज्ञों के मध्य विचारों का सहयोगात्मक आदान-प्रदान होता है,चाहे वे कहीं पर भी हों।

- यह अधिगमकर्त्ता को विभिन्न संस्कृति के लोगों के साथ काम करने का मौका प्रदान करती है।

- यह उपलब्ध सूचना को संसाधित करने व वास्तविक सांसारिक सूचना को उत्पन्न करने को प्रोत्साहित करती है।

- यह विद्यार्थी निर्देशित व डायग्नोस्टिक है।

परम्परागत अधिगम(Traditionai Learning)

- यह समान समूहों के लिए होती है।

- यह अनुशासन आधारित पहुंच है।

शैक्षिक सूचना एवं संचार तकनीकी यंत्र[Educational ICT Tools]

शिक्षा में ICT' का अर्थ है, "शिक्षण व अधिगम में सूचना एवं संचार तकनीकी का प्रयोग।"(Teaching and Learning with ICT.) शैक्षिक सूचना एवं संचार तकनीकी को निम्न तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है।

1.)Input Source

-PC

-Slate/Tablet

-Student Response System

-Visualise/Document

-software Application

-camera

2.)output source

-Projector

-Display: Monitor / T.V.

-interactive white board

3.)Others

-Digital Camera

-Switcher

-Digital Recorder

-Other Technology

Technology)

IT,ICT और ILT में अन्तर [Difference between IT,ICT and ILT]

IT-सूचना तकनीकी(Information Technology)

ICT-सूचना संचार तकनीकी (Information Communication Technology)

ILT-सूचना अधिगम तकनीकी (Information Learning Technology)

सूचना तकनीकी(Information Technology-IT)- हम डैस्कटॉप कम्प्यूटर्स को विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, एक अध्यापक अपने शिक्षण हेतू पावर प्वाइंट स्लाइड तैयार करने के लिए, एक अकाऊंटैंट अपने खातों हेतू व एक कार्यालय अपने दस्तावेजों के लिए जैसे वर्ड फाईल, एक्सैल फाइल आदि । अन्य शब्दों में, IT के अन्तर्गत हम अकेले कम्प्यूटर को या लैपटॉप को अपने कार्यों हेतु प्रयोग करते हैं। इस प्रकार IT में हार्डवेयर के अन्तर्गत कम्प्यूटर के दर्शनीय पार्ट्स को सम्मिलित किया जाता है; जैसे स्कैनर, CD ROM, DVD Drive, Pen Drive, Key Board, Mouse, Monitor आदि सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत एप्लीकेशन Software, System Software, Languages, Databases, Graphics आदि को सम्मिलित करते हैं।

सूचना संचार तकनीकी Information Communication Technology-ICT)- आज संसार के किसी भी कौने से कोई व्यक्ति संसार के अन्य लोगों से वार्तालाप कर सकता है। यह सब कम्प्यूटर्स मोबाइल्स, लैपटॉप, रूस आदि के आपस में तकनीकी रूप से सम्बन्धित होने की वजह से ही सम्भव है। यह नेटवर्किंग सूचना के सांझे उपयोग की सुविधा प्रदान करती है जो कि वैब साइटस, ई-मेल एवं Instant Messenger और अन्य सेवाओं द्वारा प्रदान की जाती है। यह सब ICT के कारण हुआ है। अत: ICT को इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है-एक संस्था के बाहर व अन्दर के एकाकी कम्प्यूटरों के आपस में जुड़े होने और सामान्य तौर पर यन्त्रों/ औज़ारों और कौशलों का ऐसा समूह जिसे किसी संस्था में विस्तृत रूप से उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार ICT में हार्डवेयर के अन्तर्गत सर्वर मशीन, इंटरफेसिस, एक्सेस नेटवर्क्स, तकनीकी माध्यम जैसे तार / बेतार आदि और सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत नेटवर्क सेवाएं, प्रोटोकॉल्स, सर्वर प्रोग्रामस, क्लाईंट प्रोग्राम सम्मिलित किए जाते हैं। ICT के सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं-वैब ब्राउज़र जैसे इंटरनेट एक्सप्लोरर, मोजिला, Apache Web Server, Windows Net meeting आदि ।

सूचना अधिगम तकनीकी(Information Learning Technology-ILT)

सूचना अधिगम तकनीकी अलग से कुछ नहीं है बल्कि IT और ICT का शिक्षा में उपयोग ही ILT है। उदाहरण के लिए कम्पनियां अपने कर्मचारियों की कार्यक्षमता को कुशल व प्रभावी बनाने के लिए उन्हें IT/ICT का प्रशिक्षण देती हैं। इस प्रकार, ILT के अन्तर्गत अध्यापक व अधिगमकर्त्ता दोनों को सम्मिलित किया जाता है। अतः ILT के अन्तर्गत हम विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे में, उनके ऑनलाइन व्यवहार, संचार विधियों और शिक्षा शास्त्रीय विधियों, सामग्री को प्रस्तुत करने के ढंग आदि के बारे में बात करते हैं। अब इंटरनैट ILT के लिए एक लोकप्रिय यंत्र है।

शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी के लाभ(Benefits of ICT in Education)

सूचना एवं संचार तकनीकी शिक्षण के लिए एक औज़ार/यंत्र है। शिष्यों को गुणवत्तापूर्ण व मानक शिक्षा प्रदान करने में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।

सामान्य लाभ(General Benefits) -विषय-वस्तु को प्रस्तुत करने व सम्प्रेषित करने का यह लचीला माध्यम है।

- शिक्षार्थी को स्वयं सीखने में सहायता प्रदान करता है।

 - विद्यार्थियों को अपनी उपलब्धियों को इस प्रकार से प्रदर्शित करने में योग्यता प्रदान करता है जो कि परम्परागत विधियों से सम्भव नहीं होता था।

- प्रत्येक को अपनी योग्यता व क्षमता से सीखने में मदद करता है।

- विद्यार्थियों की योग्यता और कुशलता के अनुरूप उनका मार्गदर्शक है।

विद्यार्थियों को सूचना एवं संचार तकनीकी के लाभ(ICT benefits for Students) -कम्प्यूटर विद्यार्थियों को स्वतन्त्र रूप से शिक्षा ग्रहण करने में मदद करता है। -विशिष्ट आवश्यकताओं वाले विद्यार्थी अपने कार्य को इसकी सहायता से पूरा कर सकते हैं।

-दृष्टिदोष विद्यार्थी इंटरनेट के माध्यम से अपने अन्य साथियों से सूचना प्राप्त कर सकते हैं।

-विभिन्न शारीरिक दोषों से युक्त विद्यार्थी इंटरनेट के द्वारा आसानी से विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

-वे विद्यार्थी जो आवाज संचार यंत्रों का उपयोग करते हैं अधिक आत्म-विश्वासी व समाज और स्कूल में सामाजिक श्रेय प्राप्त कर सकते हैं।

-सूचना एवं संचार तकनीकी का उपयोग उन्हें आत्म-विश्वासी बनाता है,उन्हें अपना गृह कार्य करने में मदद करता है तथा खाली समय का सदुपयोग करने में मदद करता है।

-व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है।

-विभिन्न तकनीकियों का उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है।

शिक्षकों व गैर-शिक्षकों को ICT का लाभ(ICT benefits for Teachers, Non-teaching Staff)

-वे अध्यापक जो विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं के लिए काम कर रहे हैं,उनके एकाकीपन को कम करता है और उन्हें अपने सहयोगियों से विद्युतीय रूप से विचार-विमर्श करने में मदद मिलती है।

-व्यावसायिक रूप से ऑनलाइन विचार-विमर्श में मदद करता है।

-स्टाफ के कौशलों को बढ़ाता है और विद्यार्थियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली तकनीकी की अच्छी समझ पैदा होती है।

-ICT के प्रयोग से व्यावसायिक वृद्धि होती है और वह समान समूहों को योगदान प्रदान करता है।

-विद्युतीय रूप में उपलब्ध ज्ञान को प्राप्त करना,परम्परागत रूप से उपलब्ध ज्ञान को प्राप्त करने की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधाजनक है।

माता-पिता/अभिभावकों को ICT का लाभ(ICT benefits for Parents)

-ध्वनि सम्प्रेषण का उपयोग माता-पिता/अभिभावकों में बच्चों के प्रति उच्च आकांक्षाएं पैदा करता है।अतः यह सामाजिक व्यवहार के विकास का प्रतीक है।

सूचना एवं संचार तकनीकी के उपयोग में बाधाएं(Barriers in the Expansion of ICT)

-तकनीकी ज्ञान (Technophobia)- नए माध्यम व तकनीकी के प्रति संकुचित दृष्टिकोण।

-नए व पुराने दोनों ही प्रकार के अध्यापक कक्षाकक्ष में कम्प्यूटर का उपयोग करने में असुविधा अनुभव करते हैं।

-धन की अनुपलब्धता(Paucity of Funds)-सूचना एवं संचार तकनीकी के उपयोग हेतू अतिरिक्त धन की आवश्यकता होती है। पर्याप्त धन न होना भी एक बड़ी बाधा है।

-तकनीकी रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति की कमी(Shortage of Trained Personnel)-तकनीकी रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में न होना भी एक समस्या है।यह समस्या तब अधिक जटिल हो जाती है, जब अध्यापकों को भी सूचना एवं संचार तकनीकी का ज्ञान न हो। -पर्याप्त सॉफ्टवेयर की कमी(Lack of proper Software)-भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएं प्रचलित हैं जबकि कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध होते हैं जो कि एक बड़ी बाधा है।

-समय(Time )-संस्थाओं में उपलब्ध कम्प्यूटरों की संख्या सीमित होती है, जिससे अध्यापकों व विद्यार्थियों को कम्प्यूटर पर अभ्यास कार्य करने का समय बहुत कम मिलता है।

वर्तमान ढांचा(Infrastructure)- बहुत से स्कूलों में अध्यापक विद्यार्थी का अनुपात 1: 60 है जो कि विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है।

-कार्यशालाओं की कमी(Lack of adequate Workshops)- भारत में सूचना एवं संचार तकनीकी के प्रयोग होतू उपयोग होने वाले हार्डवेयर से सम्बन्धित उपयुक्त कार्यशालाओं का अभाव है।

-निरन्तर अप-टू-डेट होते कोर्स व प्रोग्राम(Continuous updating and Renewal of Courses and Training Programmes)-सूचना एवं संचार तकनीकी के क्षेत्र में प्रत्येक 18 महीने में बदलाव आ जाते हैं। इससे सभी बदलावों को लागू करना कठिन हो जाता है। अतः पूर्वज्ञान वर्तमान आवश्यकताओं के हिसाब से अपर्याप्त हो जाता है।

शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने सम्बन्धित युक्तियां

Strategies for Promoting use of ICT in Education)

-शिक्षक को कक्षा-कक्ष में अपने नए रोल को स्वीकार करना चाहिए अर्थात् उसे भाषणकर्त्ता से विद्यार्थियों को सुविधा प्रदान करने वाला व उपकरण को प्रयोग करने में मदद करने वाला होना चाहिए।

-स्टाफ का विकास- इसके अन्तर्गत अध्यापकों की सेवाकालीन व पूर्व सेवाकालीन शिक्षा को सम्मिलित किया जाना चाहिए, जिसमें उन्हें ICT के प्रयोग व निरन्तर होने वाले विकास से अवगत कराया जाना चाहिए।

-तकनीकी सहायक प्रदान किए जाने चाहिए।

-नई तकनीकी के प्रयोग हेतू प्रशासनिक सहायता उपलब्ध होनी चाहिए।

-अध्यापक व शिक्षक दोनों को नई तकनीकी, कम्प्यूटर आदि की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।

-नई तकनीकी को कक्षा-कक्ष में प्रयोग हेतू सभी राज्यों के स्कूलों व महाविद्यालयों, यूनीवर्सिटी स्तर पर अध्यापकों,लैक्चरार आदि को शामिल किया जाना चाहिए। -सूचना एवं संचार तकनीकी विशेष तौर पर तभी प्रभावी होगी जब इसे अन्य तकनीकियों के साथ जोड़कर शिक्षा में प्रयोग किया जाएगा।

अध्यापकों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी अभिक्षमताएं(ICT Competencies for Teachers)

-कम्प्यूटर के उपयोग की अभिक्षमता।

-पर्सनल कम्प्यूटर, लैपटॉप व कम्प्यूटर नोट बुक के उपयोग से सम्बन्धित अभिक्षमताएं ।

-मल्टीमीडिया प्रोजैक्टर के उपयोग की अभिक्षमता।

-डिजीटल वीडियो कैमरा के उपयोग की अभिक्षमता तथा दूरवर्ती शिक्षा इत्यादि ।

-ई-मेल, इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वैब को उपयोग करने सम्बन्धी अभिक्षमता।

-डिजीटल पुस्तकालय के उपयोग की अभिक्षमता।

-कम्प्यूटर आधारित वीडियो एवं आडियो कान्फ्रेंसिंग के आयोजन एवं उपयोग सम्बन्धी अभिक्षमता।

-वर्तमान युग के सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी सम्बन्धी नवाचारों के प्रबन्धन एवं उपयोग की समस्या जैसे-ई-लर्निंग, एम-लर्निंग, वास्तविक (virtual) कक्षा-कक्ष आदि

- वीडियो टैक्सट, टेली-टैक्सट, इंटरएक्टिव वीडियो टैक्स्ट, इंटरएक्टिव रिमोर्ट, अनुदेशन आदि के प्रबन्धन एवं उपयोग संबंधी अभिक्षमता।

- विद्यार्थियों को ICT का प्रयोग करने का प्रशिक्षण देने संबंधी अभिक्षमता।

निष्कर्ष (Conclusion)-सूचना एवं संचार तकनीकी का प्रयोग भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है। सूचना एवं संचार तकनीकी के नवीन उपयोग को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है सूचना एवं संचार तकनीकी का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब वह शिक्षा के उद्देश्यों को वर्तमान समाज की आवश्यकतानुसार पूरा करेगा। अतः अध्यापक वर्ग को अपने-आप को इस नवीन तकनीकी से पूर्ण रूप से निरन्तर अवगत रखना होगा तभी वे भावी समाज की आवश्यकताओं पर खरे उतर सकेंगे।

Reference- ICTE by Dr Asha Sharma


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